Home Remedies For Menstruation: यह आर्टिकल उन सभी महिलाओं के लिए है जिन्हे ज्यादा माहवारी की समस्या बनी रहती है। इसमें माहवारी के लिए उन सभी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताया गया है जिसका इस्तेमाल कर के आप माहवारी को संतुलित या ठीक कर सकते है। तो चलिए जानते है Menstruation Home Remedies के बारे में।
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दारुहल्दी : Home Remedies For Menstruation
इसका गुल्म विशाल काय होता है, जिसमे पतनशील कंटक लगे होते है, जिसमे स्वर्णिम पीत वर्णी पुष्प होते है। औषधि के रूप में दारुहल्दी की मूल का छाल, कांड, काष्ठ और फल का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में दारुहल्दी की चूर्ण का इस्तेमाल लाभकारी होता है।
सदाबहार : माहवारी के लिए आयुर्वेदिक औषधि
इसे सदपुष्पा के नाम से भी जाना जाता है, इसका गुल्म 30 से 60 से. मी. ऊँचा होता है। सदाबहार के पत्ते सादा और अभिमुख होते है, तथा इसके पुष्प सफेद या गुलाबी रंग के होते है। सदाबहार का स्वाद तिक्त होता है। माहवारी के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में सदाबहार के स्वरस को 10 से 20 मि.ली. लेने से फायदा होता है।
आमलकी : माहवारी के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधि
इसे आमला या आँवला भी कहा जाता है, इसका वृक्ष मध्यम कद का होता है। आमलकी के पत्र छोटे छोटे इमली के पत्तों के जैसे होते है। इसके पुष्प एवं लिंगी बादामी पीतवर्णी रंग के तथा छोटे छोटे होते है। आमलकी के फल डालियों में से सटे तथा गोल चमकदार छः रेखओं से युक्त होते है। माहवारी के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आमलकी के फल का चूर्ण इस्तेमाल करने से लाभ प्राप्त होता है।
फरहद
इसे पारिभद्र या पांगारा के नाम से भी जाना जाता है। औषधि के रूप में इसके पत्र और छाल का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में फरहद के पत्रों का स्वरस एक से दो मि.ली. पिने से लाभ होता है।
सोन चम्पा
इसका वृक्ष ऊँचा सूंदर सदाहरित होता है, जिसकी औसतन उचाई 20 से 25 फिट ऊँचा होता है। सोन चम्पा के पत्ते चिकने और नोकदार होते है, इसका पुष्प काफी सुगंधित होता है जो हरिताभ पीत वर्णी रंग का होता है। माहवारी के उपचार के लिए सोन चम्पा के मूल की छाल का स चूर्ण लेने से लाभ होता है।
माहवारी के लिए आयुर्वेदिक औषधि लोध
इसका वृक्ष लघु होता है जिसकी औसत उचाई 20 फुट होती है। लोध की छाल घूसर रंग की होती है तथा पत्ते अंडाकार होते है। इसके पुष्प गोल दन्तुर पुष्प सुगंधित पीतवर्णी तथा गुच्छों में होते है। माहवारी के उपचार के लिए लोध के छाल का चूर्ण का इस्तेमाल करने से लाभ प्राप्त होता है।
बड़ी जामुन
जामुन का वृक्ष काफी बड़ा होता है, जिसकी छाल सफेद होती है। इसके पत्ते सरल, अभिमुखी, चिकने, चमकीले लंबाग्र या कुण्ठिताग्र होते है। जामुन के पुष्प सफेद तथा सुंगधित होते है, इसके फल गोल गुलाबी जामुनी होते है। माहवारी के उपचार के लिए बड़ी जामुन के पत्तो का रस पीलाने से फायदा होता है।
लाल झाऊ
यह एक चिरायु टेढ़ा मेढ़ा गुल्म है, जिसकी उचाई लगभग 2 मीटर होता है। इसकी छाल लाल और फटी हुए होती है तथा पत्ते सूक्ष्म चिकने तथा शल्क सदृश्य होते है। लाल झाऊ के पुष्प छोटे छोटे द्विलिंगी श्वेत या गुलाबी रंग के होते है। माहवारी के इलाज के लिए लाल झाऊ, गोक्षुरु, मुसली, शतावर तथा मिश्री सब सम्भाग में चूर्ण बनाकर लेने से लाभ होता है।
माहवारी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधि जंगली प्याज
यह एक लघु क्षुप होता है जिसकी लम्बाई 6 से 18 इंच लम्बा होता है। इसके पुष्प बादामी रंग के होते है तथा स्वाद तिक्त कटु होता है। औषधि के रूप में जंगली प्याज का कंद का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी की समस्या को दूर करने के लिए जंगली प्याज के कंद का रस लेने से लाभ प्राप्त होता है।
खस
यह एक प्रकार की घास होती है जो 3 से 5 फिट ऊँची सघन झुमकों में होती है। इसके पत्ते 1 से 2 फूट लम्बे होते है तथा पुष्प पीतवर्णी या रक्तवर्णी होते है। औषधि के रूप में इसके मूल का इस्तेमाल होते है जिसका स्वाद तिक्त मधुर होता है। माहवारी के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में खस के मूल का चूर्ण लेने से लाभ होता है।
कपास
यह एक लगभग चार फूट ऊँचा गुल्म होता है जिसका पत्र पंजाकर उपपत्र युक्त होता है। कपास के पुष्प पीतवर्णी होते है तथा फल गोलाकार होता है जिसके भीतर रुई में लिपटे हुए बीज होते है। प्रयोज्य अंग के रूप में इसका मूल,पत्र, पुष्प तथा बीज का इस्तेमाल होता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर इसके मूल की छाल का सेवन करने से लाभ मिलता है।
मालती
यह एक विशाल फैलने वाली आरोही लता होती है, जिसकी शाखाएँ धारदार एवं चिकनी होती है। मालती के पत्ते अभिमुखी एवं संयुक्त होते है। इसके पुष्प श्वेत एवं शुगन्धित होते है, पंखुड़ियों की भाहरी सतह गुलाबी या बैगनी छीटें वाली होती है। औषधि के रूप में इसके पंचांग, पत्र तथा पुष्प का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर मालती के पंचांग का चूर्ण का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
रतनजोत
यह एक झाडी नुमा लगभग 2 से 7 फीट ऊँचा क्षुप होता है जिसके पत्ते 3 से 5 खण्डो में विभक्त होते है। रतनजोत के पुष्प रक्तवर्णी होते है, प्रयोज्य अंग के रूप में इसके छाल पत्र तथा बीज का इस्तेमाल किया जता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर रतनजोत के छाल का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
सर्पगंधा
यह एक छोटा बहुवर्षीय चिरस्थायी गुल्म जैसा क्षुप होता है जो औसतन तीन से चार फीट ऊँचा होता है। इसके पत्ते सरल संधि पर चक्र में होते है। पुष्प श्वेत तथा अल्प गुलाबी रंग के गुच्छे में होते है। सर्पगंधा के फल छोटे मटर के दाने के समकक्ष रक्तवर्णी होते है। प्रयोज्य अंग में रूप में इसके मूल तथा पत्र का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर डाक्टर की सलाह के अनुसार इसके मूल का चूर्ण 1 से 2 माशा का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
तिल
यह एक वर्षीय लघु क्षुप होता है जिसकी कांड चौपहल होता है, तिल के पत्ते भिन्न पत्री, दन्तुर तथा अखंड होते है। इसके पुष्प नलिकाकार द्विओष्ठाकार भिन्न वर्णी (सफ़ेद या गहरे बैंगनी रंग) के होते है। इसकी फलियाँ लम्बी (2 इंच) गोल अनेक बीजों युक्त होते है जोकि तैलीय होते है। प्रयोज्य अंग के रूप में तिल का पत्र, बीज तथा पुष्प का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर इसके बीज एक तेल का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
वन उड़द
यह एक फैला हुआ आरोहणशील क्षुप होता है, जिसके पत्ते त्रिपत्री पंजाकार संयुक्त छोटे बड़े होते है। इसके पुष्प गुलाबी या नीले श्वेत वर्णी होते है। औषधि के रूप में प्रयोज्य अंग के रूप में इसके पत्र, फल एवं बीज का इस्तेमाल किया जाता है। माहवारी न आने की समस्या होने पर इसके बीज का चूर्ण का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
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