Ayurvedic medicine for flatulence: आध्मान (पेट फूलना) के लिए आयुर्वेदिक औषधि 

यह आर्टिकल उनलोगो के लिए है जिन्हे आध्मान (पेट फूलना) की समस्या रहती है। इसमें आध्मान (Flatulence) को ठीक करने के सभी आयुर्वेदिक औषधियों (Ayurvedic medicine for flatulence) के बारे में बताया गया है। तो चलिए जानते है आध्मान (पेट फूलना) के लिए आयुर्वेदिक औषधि के बारे में।

Ayurvedic medicine for flatulence: अडूसा 

यह एक सदा हरित एवं अति शाखीत क्षुप होता है जिसकी ऊंचाई 4 से 8 फुट तक होती है। अडूसा के पत्ते अभिमुखी एवं दोनों तरफ से नोकदार होते है। इसके पुष्प श्वेत होते है जो निपत्र एवं निपत्रिका युक्त होते है। प्रयोज्य अंग के रूप में इसके पंचांग, पत्र, पुष्प तथा मूल की छाल का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान की समस्या होने पर इसके पत्तो का रस का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।

आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि: बड़ी इलायची

यह एक हल्दी के पौधे की तरह दिखने वाला पत्रीय गुल्म है, जिसकी ऊंचाई औसतन 100 से 200 से. मी. तक होती है। इसका भूमिजन्य रहाईजोम जमीन में फैला रहता है। इसका स्वाद चरपरा व् तिक्त होता है, प्रयोज्य अंग के रूप में इसके सूखे पके हुए फल एवं बीज का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में बड़ी इलायची के बीज का क्वाथ का सेवन करने से फायदा होता है।

Ayurvedic medicine for flatulence: पियाज

इसका लघु गुल्म होता है जिसका कंद शल्कावरित होता है। पियाज के पत्ते पोली नलिका जैसे होते है, पुष्प गोल गुम्मजदार सफेद गुच्छो में होते है। इसका स्वाद चरपरा एवं कटु होता है, औषधि के रूप में इसका पत्र एवं कंद (लाल जातिका) का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) होने पर इसके कंद के रस का सेवन करने से लाभ होता है।

सुरन कंद

यह एक बहुत ही मजबूत गुल्म होती है, इसके भूमिजन्य कंद काफी विशाल होते है। सुरन कंद के पत्ते काफी बड़े कद के होते है, जोकि 1 से 3 फूट चौड़े व खंडित होते है। इसके पुष्प मंजरियों में होते है तथा सुरन कंद का स्वाद तीक्ष्ण कटु होता है। प्रयोज्य अंग के रूप में इसके भूमिजन्य कांड का प्रयोग किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) की समस्या होने पर इसके कंद का सेवन करने से लाभ मिलता है।

अजमोत

2 से 3 फूट ऊँचा एक वर्षायु गुल्म होता है, जसके पत्ते गहराई तक कटे हुए होते है। अजमोत को बड़ी अजवायन के नाम से भी जाना जाता है। इसके पुष्प सफेद छोटे छोटे छत्रो में होते है तथा फल अंडाकार पीत वर्णी होते है। अजमोत का स्वाद सुगंधित व कटु होता है। प्रयोज्य अंग के रूप में इसके मूल एवं फल का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) की समस्या होने पर इसके फल का चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है।

Ayurvedic medicine for flatulence

आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि: दौना

गुल्म की तरह दिखने वाला एक लम्बा सुगंधित क्षुप है, जिसकी ऊंचाई आधे से ढाई मीटर तक होती है। दौना के पत्ते लम्बे पतले एवं खंडित होते है। इसका स्वाद काफी तिक्त होता है, प्रयोज्य अंग के रूप में इसके पंचांग का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) होने पर दौना के पत्तो का स्वरस का सेवन करने से लाभ होता है।

रक्त कंचन

इसको खैखरवाल के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्यम कद का सदा हरा रहने वाला वृक्ष होता है जिसकी छाल बादामी रंग की होती है। रक्त कंचन के पत्ते खंडित होते है तथा पुष्प गुलाबी बैगनी रंग के होते है। प्रयोज्य अंग के रूप में खैखरवाल के कांड की छाल, पुष्प एवं पत्र का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) की समस्या होने पर रक्त कंचन के मूल का क्वाथ का सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।

देवकिली

इसे अकलबेर के नाम से भी जाना जाता है, इसकी गुल्म बड़ी व ऊँची होती है जिसमे भूमिजन्य मांसल कांड होते है। इसके पुष्प विविधवर्णी होते है, देवकिली का स्वाद मधुर होता है। औषधि के रूप में प्रयोज्य अंग में भूमिगत कांड का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) की समस्या होने पर देवकिली के भूमिजन्य कांड का सेवन करने से लाभ मिलता है।

चीनिया कपूर

यह एक मध्य्म कद का हमेसा हरा रहने वाला सुंदर वृक्ष होता है, जिसकी ऊँचाई 20 से 25 मीटर तक होती है। इसपे छोटे पीतवर्णी या क्रीमीश श्वेत रंग के पुष्प लगते है। औषधि के रूप में चीनिया कपूर के कांड, पत्र एवं सत का इस्तेमाल होता है तथा इसका स्वाद तिक्त होता है। आध्मान (पेट फूलना) के उपचार हेतु चीनिया कपूर का सेवन बतासे के साथ करने से लाभ होता है।

दालचीनी

इसका वृक्ष छोटा होता है जो हमेसा हराभरा रहता है, तथा यह तमाल पत्र वृक्ष से ऊँचा होता है। दालचीनी की स्वाद तीक्ष्ण मधुर होता है तथा इसकी छाल भी काफी सुगंधित होती है। औषधि के रूप में इसकी कांड की छाल का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान (पेट फूलना) के उपचार के लिए दालचीनी के तेल को मिश्री के साथ खिलाने से फायदा होता है।

आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि

धनियां

यह एक ऐसा गुल्म है जिसका औषधि के रूप में फल, पत्र एवं पंचांग का इस्तेमाल होता है। इसका स्वाद तिक्त एवं सुगंधित होता है। धनियां में वातानुलोमक, मूत्रल, दाहशामक, पाचन,ज्वरहर, ग्राही तथा तृषाशामक गुण पाए जाते है। आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में (Ayurvedic medicine for flatulence) धनिया के 5 से 7 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है।

बरना

इसका वृक्ष 20 से 30 फुट ऊँचा होता है, जिसकी शाखाएं काफी फैली हुए होती है। बरना के छाल श्वेत वर्णी होते है तथा पत्ते त्रिपत्री संयुक्त रूप से होते है। इसके पुष्प पीत श्वेत या गुलाबी भिन्नवर्णी होते है। बरना के फल निम्बू की तरह होते है जो पकने पर लाल रंग के हो जाते है। प्रयोज्य अंग के रूप में बरना के छाल, पत्र एवं पुष्प का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इसके पत्तो का रस का सेवन करने से लाभ मिलता है।

सुदर्शन

इसे सुखदर्शन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक क्षुप है जिसका वल्की कंद बड़ा होता है। इसके पत्ते पतले, नोकदार व चौड़े होते है। सुदर्शन के पुष्प चपटे सफेद व लम्बे स्केप पर 15 से 50 की गिनती में होते है, जोकि रात्रि के समय में सुगंधित होते है। इसके फल अल्प गोलाकार होते है जिसमे 1 से 2 बीज होते है। औषधि के रूप में प्रयोज्य अंग के रूप में इसके पत्र एवं भौमिक काण्ड का इस्तेमाल किया जाता है। आध्मान के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में (Ayurvedic medicine for flatulence) इसके कंद का सेवन करने से लाभ मिलता है।

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